मध्य प्रदेश में बघेल, फिल्म इंडस्ट्री बनाना चाहते हैं अविनाश तिवारी
मुम्बई। दुनिया में 6500 से भी अधिक भाषा बोली जाती है। यूँ तो हमारे देश में नोटों पर अंकित भाषाओं को राष्ट्रीय मानता दी गई है, किंतु अब तक करीब पचास क्षेत्रीय बोली भाषा में फिल्मों का निर्माण हमारे देश में हो चुका है। जिसमें कई भारतीय भाषाओं की फिल्मों ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हमारे देश में बघेली बोलनेवालों की संख्या भी बहुत है। मध्य प्रदेश के लगभग ग्यारह जनपदों में यह भाषा प्रचलित है। मध्य प्रदेश के ऐसे ही क्षेत्र सीधी जिला के रहने वाले हैं अविनाश तिवारी, जो बघेली में फिल्म निर्माण करते हुए सीधी में एक फिल्मसिटी बनाने हेतु भी प्रयासरत हैं और उनकी बघेली फिल्म राजेन्द्र राठौड़ जी के निर्देशन में निर्मित ‘कुंवारापुर’ प्रदर्शन के लिए तैयार है।
गत वर्ष बघेली भाषा की पहली फिल्म ‘बुधिया’ प्रदर्शित हुई थी, इसके फिल्मकार अविनाश तिवारी ही थे। अब बघेली में दूसरी फिल्म ‘कुंवारापुर’ बनाई है। यह एक हास्य फिल्म है। निर्माता अविनाश तिवारी बताते हैं कि, ‘कुंवारापुर एक श्रापित गाँव है, वहाँ पर चालीस-पचास सालों से किसी की शादी नहीं हुई है। वहाँ प्रेम प्रकाश दहेज मुक्त शादी करता है और इसके पश्चात वह गाँव श्राप मुक्त हो जाता है। यह फिल्म इक्कीस दिनों की शूटिंग मध्य प्रदेश में करके पूरी की गई है। इसमें अन्नपूर्णा द्विवेदी, अविनाश तिवारी और असरानी समेत कई कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है।
विदित हो कि, अविनाश फिल्म्स प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित इस फिल्म के लेखक अविनाश तिवारी खुद है। उनके लिखे गानों को संगीत की धुनों से सजाया है परवेश सिंह ने। नदीम अंसारी फिल्म के छायाकार हैं।
बता दें कि, फिल्म के निर्देशक राजेन्द्र राठौड़ बहुत सारी विज्ञापन फिल्में, पचासों म्यूजिक वीडियो और ओटीटी के लिए एक फिल्म ‘शादी में सियापा’ निर्देशित कर चुके हैं। बघेली में उनकी पहली फिल्म है। वह भी मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और उनका मानना है कि, आज दक्षिण भारतीय फिल्मकार अपनी मातृभाषा में फिल्म बनाकर बहुत कमाते हैं। जो अपनी मातृभाषा की इज्ज़त करेगा, वह फिल्म इंडस्ट्री में राज करेगा। मैं भी अपनी मातृभाषा में फिल्म बनाकर अच्छी फिल्में समाज को देना चाहता हूँ। क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्म दर्शकों को पसंद आती हैं। निःसंदेह यह फिल्म भी दर्शकों को पसंद आएगी।
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